Saturday, March 20, 2010

जनचेतना की नयी पुस्‍तक सूची

पाठकों ने अनुरोध किया है कि हम अपनी पुस्‍तक सूची, इस ब्‍लॉग पर भी उपलब्‍ध कराएं। इसलिए हम पुस्‍तक सूची इस ब्‍लॉग पर दे रहे हैं, लेकिन फिलहाल यह सूची पीडीएफ प्रारूप में है। जल्‍द इसको यूनिकोड फांट में भी उपलब्‍ध कराया जाएगा। आप पुस्‍तकें मंगाने के लिए, बायीं ओर के साइडबार में दिए पतों, फोन नंबर या ईमेल पर संपर्क कर सकते हैं। 'जनचेतना' परिकल्पना प्रकाशन, राहुल फाउण्डेशन, अनुराग ट्रस्ट, शहीद भगतसिंह यादगारी प्रकाशन, दस्तक प्रकाशन और प्रांजल आर्ट पब्लिशर्स का ‘जनचेतना’ मुख्य वितरक संस्‍थान है। इस सूची में शहीद भगतसिंह यादगारी प्रकाशन और दस्‍तक प्रकाशन की पंजाबी में प्रकाशित किताबों और परिकल्‍पना प्रकाशन एवं राहुल फाउण्‍डेशन से अंग्रेजी में छपी पुस्‍तकों को भी शामिल किया गया है।

जनचेतना पुस्‍तक-सूची 2010

Tuesday, February 2, 2010

विश्‍व पुस्‍तक मेला में 'जनचेतना' : टाइम्‍‍स ऑफ इंडिया और हिन्‍दुस्‍तान में कवरेज

टाइम्‍स ऑफ इंडिया के 2 फरवरी 2010 के अंक में प्रगति मैदान, नई दिल्‍ली में चल रहे 19वें विश्‍व पुस्‍तक मेला में 'जनचेतना' के स्‍टाल की अच्‍छी कवरेज की गई है। अखबर लिखता है कि मार्क्‍स, लेनिन और अन्‍य लेखकों की किताबें युवाओं को विश्‍व पुस्‍तक मेला में आकर्षित कर रही हैं। मार्क्‍स के चित्रों, और भगतसिंह की तस्‍वीरों वाले पोस्‍टर, क्रान्तिकारी कविताओं और नारों से सजे पोस्‍टर और कार्ड और लोगों को सपने देखने, संघर्ष करने और जीतने का आह्वान करने वाले बैनर और इनके साथ ही शेल्‍फों में सुन्‍दर ढंग से व्‍यवस्थित किताबें लोगों को (विशेषकर शहरी युवा आबादी को) आज के समय की चुनौतियों का एक युक्तिसंगत समाधान प्रस्‍तुत कर रही हैं।
प्रगति मैदान के हॉल नं. 1 (स्‍टॉल नं. 27-30) और हॉल नं. 12 ए (स्‍टॉल नं. 97-104) में एक छोटी पुस्‍तक क्रान्ति आकार ले रही है जहां मार्क्‍स, लेनिन की किताबों से लेकर भगतसिहं के क्रान्तिकारी विचारों पर केंद्रित किताबें उपलब्‍ध हैं। इसके अलावा जनचेतना के स्‍टाल पर कविताओं, कहानियों, प्रेरणादायी पुस्‍तकों और आज के दौर के लिए जरूरी साहित्‍य पाया जा सकता है। जनचेतना का स्‍टॉल बेहतर भविष्‍य के लिए आम आदमी को जगाने और प्रेरित करने वाले साहित्‍य पर ध्‍यान केद्रित करता है। साथ ही सुंदर और साहित्यिक कार्ड, नोटपैड, कैलेंडर भी मौजूद हैं। जनचेतना के स्‍वयंसेवक (जिसमें ज्‍यादातर युवक-युवतियां हैं) प्‍लैकार्ड लिए नजर आते हैं जिसपर लिखा है 'एक सांस्‍कृतिक मुहिम, एक वैचारिक परियोजना, वैकल्पिक मीडिया का एक मॉडल'
जनचेतना के अभिनव, दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के इतिहास के छात्र ने बताया कि जनचेतना के स्‍टॉल पर आने वाले दर्शक जिनमें युवाओं की बड़ी आबादी होती है आज के दौर की सामाजिक-आर्थिक समस्‍याओं से जुड़े अपने प्रश्‍नों का उत्तर तलाशते हुए यहां आते हैं। क्रान्तिकारी साहित्‍य के अलावा प्रबुद्ध अकादमिक पाठकों के लिए अन्‍य कई प्रकार की क्‍लासिक कृतियां जनचेतना पर उपलब्‍ध हैं।
हिन्‍दी अखबार हिन्‍दुस्‍तान में भी विश्‍व पुस्‍तक मेला में जनचेतना के स्‍टॉल की कवरेज की गई है।

Thursday, January 21, 2010

‘जनचेतना’ पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर ए.बी.वी.पी. के गुण्डों का हमला



वाहन पर मौजूद कार्यकर्ताओं से मारपीट, वाहन के शीशे तोडे़
भगतसिंह, प्रेमचंद, राहुल आदि की किताबें फेंकी, आग लगाने की कोशिश

20 जनवरी, नई दिल्ली। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के करीब 25 गुण्डों ने आज दोपहर दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय के भीतर विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति से खड़े ‘जनचेतना’ पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर हमला किया। उन्होंने वाहन के शीशे तोड़ डाले और वहाँ मौजूद तीन कार्यकर्ताओं कुणाल, संजय और नवीन के साथ मारपीट की। ज्ञात हो कि ‘जनचेतना’ एक सांस्कृतिक मुहिम है जो पिछले 24 वर्षों से पूरे देश में प्रेमचंद, शरतचंद्र, भगतसिंह, गोर्की, राहुल सांकृत्यायन, राधामोहन गोकुलजी, तोल्स्तोय, हेमिंग्वे, आदि लेखकों, चिंतकों और साहित्यकारों के साहित्य व लेखन के जरिये समाज में प्रगतिशील विचारों के प्रचार-प्रसार में लगी हुई है। ‘जनचेतना’ के पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गुण्डावाहिनी ए.बी.वी.पी. का यह पहला हमला नहीं है। इसके पहले भी जनवाद और समानता के विचारों के प्रचार-प्रसार में लगी इस सांस्कृतिक मुहिम पर संघ परिवार के संगठन हमला कर चुके हैं। इसके पहले मेरठ, मथुरा, मुरादाबाद, जयपुर, आगरा आदि में भी ए.बी.वी.पी., विहिप तथा बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने ‘जनचेतना’ के पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर हमला किया था। पिछले वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय में भी ए.बी.वी.पी. ने प्रदर्शनी वाहन पर हमला किया था लेकिन दिशा छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने उन्हें वहां से खदेड़ दिया था।
आज हुए हमले के दौरान ए.बी.वी.पी. के लोग हॉकी, डण्डों आदि से लैस थे। उनका मकसद वाहन को नुकसान पहुंचाना था और वे खुले तौर पर बोल भी रहे थे कि इन विचारों का प्रचार-प्रसार विश्वविद्यालय परिसर में नहीं करने दिया जाएगा। ‘जनचेतना’ के कार्यकर्ताओं ने इसका प्रतिरोध किया तो उनके साथ मारपीट शुरू कर दी गई और वाहन के शीशे तोड़ दिये गये। हमलावरों ने भगतसिंह, प्रेमचंद, राहुन सांकृत्यायन आदि की किताबें जमीन पर फेंक दीं तथा वाहन को आग लगाने की भी कोशिश की। जब तक ‘जनचेतना’ के स्वयंसेवकों और अन्य शुभचिन्तकों को खबर मिलती तब तक वे वाहन को काफी क्षति पहुंचा कर भाग चुके थे। इस घटना के बाद दिशा छात्र संगठन, आइसा व एस.एफ.आई. से जुड़े छात्र ‘जनचेतना’ के समर्थन में घटना स्थल पर पहुंचे और अपनी एकजुटता जताई। इस हमले के विरोध में कल दिल्ली विश्वविद्यालय का पूरा जनवादी और प्रगतिशील समुदाय कला संकाय के भीतर ही एक विरोध सभा का आयोजन करेगा। इस मामले की शिकायत ‘जनचेतना’ के कार्यकर्ताओं ने प्रॉक्टर ऑफिस में की और साथ ही मॉरिसनगर थाने में भी एफआईआर दर्ज कराई है। ‘जनचेतना’ के संजय ने कहा कि अगर ए.बी.वी.पी. के गुण्डे यह समझते हैं कि इस प्रकार की कार्रवाइयों से वे हमें आतंकित करके यहां से हटा सकते हैं तो यह उनकी बहुत बड़ी भूल है। ‘जनचेतना’ पुस्तक प्रदर्शनी वाहन कला संकाय में लगा रहेगा और इस किस्म के किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बाद वाहन की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन और पुलिस प्रशासन की बनती है। अगर वे इस काम को नहीं करते हैं तो इस काम को ‘जनचेतना’ के स्वयंसेवक और समर्थक स्वयं करने को बाध्य होंगे।
आज 21 जनवरी को विश्‍वविद्यालय के तकरीबन 200 छात्रों ने इस घटना के विरोध में रैली निकाली और प्रदर्शन किया। लेकिन हिन्‍दू फासिस्‍टों के संगठन एबीवीपी की गुण्‍डा वाहिनी के हौसले इतने बढ़े हुए हैं कि उन्‍होंने आज फिर लोगों को उकसाने और मारपीट करने की कोशिश की। स्थि‍ति इतनी तनावपूर्ण थी कि विश्‍वविद्यालय प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी। लेकिन विश्‍वविद्यालय के प्रशासन ने दोषियों के खिलाफ़ कार्रवाई करने के बजाय जनचेतना वैन को वहां से हटाने का आदेश दे दिया, जबकि एक दिन पहले स्‍वयं प्रोक्‍टर इसकी अनुमति दी थी।

हाल ही में

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